अनुराग कश्यप उन फिल्मकारों में से हैं, जिन्हें सिनेमा की धारा को मोड़ने का श्रेय दिया जाता है। उनकी फिल्मों में हमेशा कुछ अलग देखने को मिलता है और इस बार भी जब वे 2. 12 दोबारा लेकर आए हैं, तो उम्मीदों के आकाश का विस्तृत होना स्वाभाविक है, मगर इस बार अनुराग ने अपनी कहानी के लिए स्पैनिश फिल्म मिराज को चुना है। जी हां, ये स्पैनिश फिल्म मिराज की आधिकारिक रीमेक है। जिन लोगों ने मूल फिल्म नहीं देखी है, उनके लिए ये एक पावर पैक्ड सस्पेंस-थ्रिलर टाइम ट्रेवल फिल्म साबित होगी और जिन्होंने ये फिल्म देखी है, वो भी निराश नहीं होंगे। हां, फिल्म देखने वालों के लिए ये जटिल हो सकती है, इसलिए इसे एकाग्र होकर देखना जरूरी है वरना फिल्म आपके सिर के ऊपर से निकल सकती है।
'दोबारा 'की कहानी
कहानी थोड़ी जटिल है, वो इसलिए कि ये टाइम ट्रेवेल पर आधारित फिल्म है, जहां कहानी और किरदार 1990 और 2021 के बीच झूलती है। नब्बे के दशक में, एक भयावह तूफानी रात में 12 वर्षीय अनय की सड़क हादसे में मौत हो जाती है। अपनी मौत के पहले वो अपने पड़ोसी (स्वासता चटर्जी) को अपनी अपनी पत्नी की हत्या और फिर उस हत्या का सुराग मिटाते देखता है। पच्चीस साल बाद एक बार फिर उसी तरह की तूफानी रात है और अंतरा (तापसी पन्नू) जो कि एक नर्स है, अपने पति राहुल भट्ट और बेटी के साथ हाल ही में उस नए घर में शिफ्ट हुई है, खुद को एक टीवी सेट के सामने पाती है। जब वह टीवी ऑन करती है, तो उसे टीवी के अंदर वही बच्चा अनय दिखता है। डरावनी बात यह है कि दूसरी तरफ अनय को भी अंतरा अपने टीवी में नजर आती है। अब तक अंतरा जान चुकी है कि अनय कत्ल को देखने के बाद सड़क हादसे में मरने वाला है। अब वह टीवी के माध्यम से वह अनय की जान बचाने का प्रयास करती है। अतीत में अनय तो उस सड़क हादसे से बचा लेती है, मगर उसके चक्कर में वर्तमान में अंतरा अपनी जिंदगी के बिंदुओं को खो बैठती है।
'दोबारा 'की ट्रेलर
मिराज की आधिकारिक रीमेक होने के बावजूद इसमें अनुराग कश्यप का स्टाइल साफ झलकता है। ये अलग बात है कि दर्शक अनुराग से थोड़ी और गहरी और परतदार कहानी की उम्मीद करता है। चूंकि फिल्म अतीत और वर्तमान की घटनाओं के साथ आगे बढ़ती है, तो कई जगह पर कॉम्प्लिकेटेड भी हो जाती है। मगर जटिल होने के बावजूद ये आपको बांधे रखती है। हमेशा की तरह अनुराग के महिला किरदार मजबूत हैं, जिसकी झलक पहले ही दृश्य में मिल जाती है, जहां अनय की आर्किटेक्ट मां बेटे की फिक्र के साथ-साथ अस्पताल का नक्शा तैयार करती दिखती है, तो तापसी पन्नू एक डॉक्टर और नर्स के रूप में अपनी हालिया जिंदगी को पाने की जद्दोजहद करती दिखती है। पहले सीन से बेचैनी शुरू हो जाती है और वो अंत तक बनी रहती है। फिल्म में टाइम ट्रेवल के साथ-साथ हत्या की गुत्थी भी सुलझती है, जिसमें सस्पेंस और थ्रिल बना रहता है। फिल्म में दो गाने हैं, हालांकि वे नहीं भी होते तो कोई फर्क नहीं पड़ता। एडिटिंग चुस्त है।
अभिनय के मामले में तापसी हर तरह से बीस साबित हुई हैं। टाइल ट्रेवल के बीच उन्होंने अपने किरदार को अपने अभिनय की खास शैली से दमदार तरीके से सींचा है। उनकी झुंझलाहट, पागलपन, दुस्साहस और कन्फ्यूजन किरदार को और स्ट्रॉन्ग बनाता है। इस बार पुलिस अधिकारी के रूप में पावेल गुलाटी खूब जंचे हैं। स्वासता चटर्जी ने अपने चरित्र से कहानी के सस्पेंस और थ्रिल में इजाफा किया है। राहुल भट्ट, नासर, हिमांशी चौधरी चौधरी, निधि सिंह आदि अपनी भूमिकाओं में उपयुक्त हैं।
क्यों देखें-टाइम ट्रेवल और सस्पेंस-थ्रिलर फिल्मों के शौकीन ये मूवी देख सकते हैं।
Post a Comment